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शब्द का अर्थ
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सवार :
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पुं० [फा] १. वह जो किसी सवारी या यान पर आरूढ़ हो। जैसा—पांचवाँ सवार। २. वह जो सवारी करने में कुशल हो। जैसा—घुड़सवार। ३. वह जो किसी दूसरे के ऊपर चढ़ा या बैठा हो और उसे किसी रूप में दबाये हुए हो। मुहावरा—(किसी पर या किसी के सिर पर) सवार होना=किसी को पूर्ण रूप से अभिभूत करके। (ख) उसे अपने वश में रखना अथवा (ख) उसे अपने विचारों के अनुसार चलाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सवारी :
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स्त्री० [फा०] १. सवार होने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. कोई ऐसा साधन जिस पर सवार होकर लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हों। यान। जैसा—गाड़ी, घोड़ा, नाव, मोटर, रेल, हवाई, जहाज आदि। ३. वह जो उक्त पर चढ़कर कही जाता हो। उक्त पर सवार होनेवाला व्यक्ति। ४. कोई ऐसा जुलूस जिसमें कोई बहुत बड़ा व्यक्ति कोई धर्मग्रन्थ या देवता की मूर्ति किसी यान पर कहीं ले जाई जाती हो। जैसा—राष्ट्रपति की सवारी, रामजी या वेद भगवान् की सवारी। क्रि० प्र०—निकलना।—निकालना। ५. कुश्ती में एक प्रकार का पेंच जिसमें विपक्षी को जमीन पर गिराकर उसकी पीठ पर बैठकर उसे चित करने का प्रयत्न करते हैं। क्रि० प्र०—कसना। ६. संभोग या प्रसंग के लिए स्त्री पर चढ़ने की क्रिया (बाजारू)। क्रि० प्र०—कसना।—गाँठना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सवारे :
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अव्य० [सं० स+बेला] १. प्रातःकाल। सबेरे। २. समय से कुछ पहले। जल्दी। ३. आनेवाले दूसरे दिन। कल के दिन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सवारै :
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अव्य०=सवारे।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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