शब्द का अर्थ खोजें
शब्द का अर्थ
|
व्यंजन :
|
पुं० [सं०] १. व्यक्त या प्रकट करने अथवा होने की क्रिया या भाव। व्यंजना। २. तरकारी, साग आदि जो दाल, चावल, रोटी आदि के साथ खाई जाती है। ३. साधारण बोल-चाल में सभी तरह के पकाये हुए भोजन। ४. वर्णमाला का कोई ऐसा वर्ण जिसका उच्चारण किसी और वर्ण विशेषतः स्वर की सहायता के बिना संभव न हो। देवनागरी वर्णमाला में ‘क’ से ‘ह’ तक वर्णों का समूह। ५. चिन्ह्र। निशान। ६. अंग। अवयव। ७. मूँछ। ८. दिन। ९. उपस्थ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
व्यंजनकार :
|
पुं० [सं० व्यंजन√कृ+घञ्] तरह-तरह के व्यंजन अर्थात् पकवान बनानेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
व्यंजन संधि :
|
स्त्री० [सं० ष० त०] संस्कृत व्याकरण के अनुसार समीपस्थ व्यंजनों का मिलना अथवा मिलकर नया रूप धारण करना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
व्यंजन-हारिका :
|
स्त्री० [सं० ष० त०] पुराणानुसार एक प्रकार की अमंगलकरिणी शक्ति जो विवाहिता लड़कियों के बनाये हुए खाद्य पदार्थ उठा ले जाती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
व्यंजना :
|
स्त्री० [सं० व्यंजन+टाप्] १. प्रकट करने की क्रिया भाव या शक्ति। २. शब्द की तीन प्रकार की शक्तियों या वृत्तियों में से एक जिससे शब्द या शब्द-समूह के वाच्यार्थ अथवा लक्ष्यार्थ से भिन्न किसी और ही अर्थ का बोध होता है। शब्द की वह शक्ति जिसके द्वारा साधारण अर्थ को छोड़कर कोई विशेष अर्थ प्रकट होता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|
|
|
|
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai