शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

यति  : पुं० [सं०√यत्+इन्] १. वह व्यक्ति जिसने अपनी इन्द्रियों तथा मनोविकारों को वश में कर लिया हो। फलतः जो संन्यास धारण कर सांसारिक प्रपंचों से दूर रहता हो तथा ईश्वर का भजन करता हो। २. ब्रह्मचारी। ३. विष्णु। ४. भागवत के अनुसार ब्रह्मा के एक पुत्र का नाम। ५. नहुष का एक पुत्र। ६. छप्पय छन्द के ६६वें भेद का नाम। स्त्री० [सं० यम्+क्तिन्+ङीष्] १. रोक। रुकावट। २. मनोविकार। ३. सन्धि। ४. विधवा। स्त्री। ५. शालक राग का एक भेद। ६. मृदंग का एक प्रकार का प्रबन्ध या बोल। ७. छन्द शास्त्र के अनुसार कविता या पद्य के चरणों में वह स्थान जहाँ पड़ते समय उनकी लय ठीक रखने के लिए थोड़ा-सा विश्राम होता है। विश्राम। विराम।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
यति-चांद्रायण  : पुं० [सं० ष० त०] यतियों के लिए विहित एक प्रकार का चांद्रायण व्रत।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
यतित्व  : पुं० [सं० यति+त्व०] यति होने की अवस्था, धर्म या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
यति-धर्म  : पुं० [सं० ष० त०] सन्यास।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
यतिनी  : स्त्री० [सं० यत+इनि+ङीष्] १. संन्यासिनी। २. विधवा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
यति-भंग  : पुं० [सं० ष० त०] [वि० यति-भ्रष्ट] काव्य का लय सम्बन्धी एक दोष जो उस समय गाया जाता है। जब पढ़ते समय किसी उद्दिष्ट या नियत स्थान पर विश्राम नहीं होता, बल्कि उसके कुछ पहले या पीछे होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
यति-भ्रष्ट  : वि० [सं० ब० स०] ऐसा चरण या छन्द जिसमें यति अपने उपयुक्त स्थान पर न पड़कर कुछ आगे या पीछे पड़ी हो। यति भंग दोष से युक्त। (छंद)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ
 

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai