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पितृ-ऋण  : पुं० [ष० त०] धर्म-शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य के तीन ऋणों में से एक जिसे लेकर वह जन्म ग्रहण करता है। कहा गया है कि पुत्र उत्पन्न करने से उस ऋण से मुक्ति होती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पितृ-ऋण  : पुं० [ष० त०] धर्म-शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य के तीन ऋणों में से एक जिसे लेकर वह जन्म ग्रहण करता है। कहा गया है कि पुत्र उत्पन्न करने से उस ऋण से मुक्ति होती है।
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