शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

परिणाम  : पुं० [सं० परि√नम्+घञ्] १. किसी पदार्थ की पहली या प्रकृत अवस्था, गुण, रूप आदि में होनेवाला ऐसा परिवर्तन या विकार जिससे वह पदार्थ कुछ और ही हो जाय अथवा किसी अन्य अवस्था, गुण या रूप से युक्त प्रतीत होने लगे। एक रूप के स्थान पर होनेवाले दूसरे रूप की प्राप्ति। तबदीली। रूपांतरण। जैसे—घड़ा गीली मिट्टी का, दही जमे हुए दूध का या राख जलती हुई लकड़ी का परिणाम है। विशेष—सांख्य दर्शन के अनुसार परिणाम वस्तुतः प्रकृति का मुख्य गुण या स्वभाव है। सभी चीजें अपनी एक अवस्था या रूप छोड़कर दूसरी अवस्था या रूप धारण करती रहती हैं। यही अवस्थांतरण या रूपांतरण उनका ‘परिणाम’ कहलाती है। जब सत्त्व, रज और तम तीनों गुणों की साम्यावस्था नष्ट या भग्न हो जाती है, तब उसके परिणाम-स्वरूप सृष्टि के सब पदार्थों की रचना होती है; और जब यही क्रम उलटा चलने लगता है, तब उसके परिणाम के रूप में सृष्टि का नाश या प्रलय होता है। इसी रूपांतरण के आधार पर पतंजलि ने योग-दर्शन में चित्त के ये तीन परिणाम माने हैं—निरोध, समाधि और एकाग्रता। अन्य पदार्थों में भी धर्म, लक्षण और अवस्था के विचार से तीन प्रकार के परिणाम होते हैं। जैसे—मिट्टी के घड़े का बनना धर्म-परिणाम है। देखी-सुनी हुई चीजों या बातों में भूत और वर्तमान का जो अन्तर होता है, वह लक्षण-परिणाम है, और उनमें स्पष्टता तथा अस्पष्टता का जो अन्तर होता है, वह अवस्था-परिणाम है। २. किसी काम या बात का तर्क-संगत रूप में अंत होने पर उससे प्राप्त होनेवाला फल। नतीजा। (रिजल्ट) जैसे—(क) इस वाद-विवाद का परिणाम यह हुआ कि काम जल्दी और अच्छे ढंग से होने लगा। (ख) धर्म, न्याय और सत्य का परिणाम सदा सुख ही होता है। किसी कार्य के उपरांत क्रियात्मक रूप से पड़नेवाला उसका प्रभाव। (कांसीक्वेन्स) जैसे—आपस के लड़ाई-झगड़े का परिणाम यह हुआ कि दोनों घर चौपट हो गये। ४. बहुत-सी बातें सुन-समझकर उनसे निकाला हुआ निष्कर्ष। नतीजा। (कन्क्लुज़न) जैसे—उनकी बातें सुनकर हम इसी परिणाम पर पहुँचे हुए हैं कि वे पूरे नास्तिक हैं। ५. अन्न आदि का पेट में पहुँचकर पचना। परिपाक। ६. किसी पदार्थ का अच्छी तरह पुष्ट, प्रौढ़ या विकसित होकर पूर्णता तक पहुँचना। ६. अंत। अवसान। समाप्ति। ८. वृद्धावस्था। बुढ़ापा। ९. साहित्य में एक अर्थालंकार जिसमें किसी कार्य के होने पर उसके साथ उस कार्य के परिणाम का भी उल्लेख होता है। (कम्यूटेशन) जैसे—मुख चंद्र के दर्शनों से मन का सारा संताप शांत हो जाता है। विशेष—यह अलंकार अभेद और सादृश्य पर आश्रित होता है, फिर भी इसमें आरोपण का तत्त्व प्रधान है। परवर्ती साहित्यकारों ने इस अलंकार का लक्षण या स्वरूप बहुत-कुछ बदल दिया है। ‘चंद्रलोक’ के मत से जहाँ उपमेय के कार्य का उपमान द्वारा दिया जाना वर्णित होता है अथवा उपमान का उपमेय के साथ एक रूप होकर कोई काम करने का उल्लेख होता है, वहाँ परिणाम अलंकार होता है। जैसे—यदि कहा जाय—राष्ट्रपति जी ने अपने कर-कमलों से प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।’ तो यहाँ इसलिए परिणाम अलंकार हो जायगा कि उन्होंने अपने करों से नहीं, बल्कि कर रूपी कमलों से उद्घाटन किया। रूपक अलंकार से इसमें यह अंतर है कि रूपक में तो उपमेय पर उपमान का आरोप मात्र कर दिया जाता है; परंतु परिणाम अलंकार में यह विशेषता होती है कि उपमेय का काम उपमान से कराकर अर्थ में चमत्कार लाया जाता है। १॰. नाट्य-शास्त्र में कथावस्तु, की वह अंतिम स्थिति जिसमें संघर्ष की समाप्ति होने पर उसका फल दिखलाया जाता है। जैसे—हरिश्चंद्र नाटक के अंत में रोहिताश्व का जी उठना और राजा हरिश्चंद्र का अपनी पत्नी को पाकर फिर से परम सुखी और वैभवशाली होना ‘परिणाम’ कहा जायगा। इसी ‘परिणाम’ के आधार पर नाटकों के दुःखांत और सुखांत नामक दो भेद हुए हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामक  : वि० [सं० परि√नम्+णिच्+ण्वुल्—अक] जिसके कारण कोई परिणाम हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामदर्शी (र्शिन्)  : वि० [सं० परिणाम√दृश् (देखना)+णिनि] १. जिसे होनेवाले परिणाम का पहले से भान हो। २. जो परिणाम या फल का ध्यान रखकर काम करता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणाम-दृष्टि  : स्त्री० [सं० स० त०] वह दृष्टि या शक्ति जिससे मनुष्य किसी काम या बात का परिणाम अथवा फल पहले से जान या समझ लेता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामन  : पुं० [सं० परि√नम्+णिच्+ल्युट्—अन] १. अच्छी तरह पुष्ट करना और बढ़ाना। २. जातीय या संघीय वस्तुओं का किया जानेवाला व्यक्तिगत उपभोग। (बौद्ध)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामवाद  : पुं० [सं० ष० त०] सांख्य का यह मत या सिद्धान्त कि जगत् की उत्पत्ति औऱ विनाश दोनों सदा नित्य परिणाम के रूप में होते रहते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामवादी (दिन्)  : वि० [सं० परिणामवाद—इनि] परिणामवाद-संबंधी। पुं० वह जिसका परिणामवाद में विश्वास हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणाम-शूल  : पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार का रोग जिसमें भोजन करने के उपरांत पेट में पीड़ा होने लगती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामिक  : वि० [सं० पारिणामिक] १. परिणाम के रूप में होनेवाला। जैसे—दुष्कर्मों का परिणामिक भोग। २. (भोजन) जो शीघ्र या सहज में पच जाय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामित्र  : पुं० [सं०] आधुनिक यंत्र-विज्ञान में एक प्रकार का यंत्र जो एक प्रकार की विद्युत-धारा को दूसरे प्रकार की विद्युत-धारा (अर्थात् निम्न को उच्च अथवा उच्च को निम्न) के रूप में परिवर्तित करता है। (ट्रान्सफार्मर)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामित्व  : पुं० [सं० परिणामिन्+त्व] परिणामी अर्थात् परिवर्तनशील होने की अवस्था या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामि-नित्य  : वि० [सं० कर्म० स०] जो नित्य होने पर भी बदलता रहे। जिसकी सत्ता तो स्थिर रहे, पर रूप बराबर बदलता रहे। जो एक रस न होकर भी अवनाशी हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिणामी (मिन्)  : वि० [सं० परिणाम+इनि] [स्त्री० परिणामिनी] १. परिणाम के रूप में होनेवाला। २. परिणाम-संबंधी। ३. जो बराबर बदलता रहे। रुपांतरित होता रहनेवाला। परिवर्तनशील। ४. जो परिवर्तन मान या सह ले। ५. परिणाम-दर्शी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ
 

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai