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शब्द का अर्थ
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नीति :
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स्त्री० [सं०√नी+क्तिन्] [वि० नैतिक] १. ले जाने या ले चलने की क्रिया ढंग या भाव। २. उचित या ठीक रास्ते पर ले चलने की क्रिया या भाव। ३. आचार, व्यवहार आदि का ढंग, पद्धति या रीति। ४. आचार, व्यवहार आदि का वह प्रकार या रूप जो बिना किसी का उपकार किये या किसी को कष्ट पहुँचाये अपने लिए और दूसरों के लिए भी मंगलकारी,शुभ तथा सम्मानजनक हो। ५. ऐसा आचार-व्यवहार जो सबकी दृष्टि में लोक या समाज के कल्याण के लिए आवश्यक और उचित ठहराया गया हो या माना जाता हो। सदाचार, सद्वव्यवहार आदि के नियम और रीतियाँ। ६. राज्य या शासन की रक्षा और व्यवस्था के लिए अथवा शासक और शासित का संबंध ठीक तरह से बनाये रखने के लिए स्थिर किये हुए तत्त्व या सिद्धान्त। ७. अपना उद्देश्य सिद्ध करने या काम निकालने के लिए कौशल तथा चतुरता से किया जानेवाला आचरण या व्यवहार। तरकीब। युक्ति। हिम्मत। (पॉलिसी) ८. किसी काम या बात की उपलब्धि प्राप्ति या सिद्धि। ९. दे० ‘नीति-शास्त्र’। १॰. दे० ‘राजनीति’। |
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नीति-कुंतली :
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स्त्री० [सं०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। |
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नीतिज्ञ :
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वि० [सं० नीति√ज्ञा (जानना)+क] नीति का जाननेवाला। नीतिकुशल। |
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नीतिमान् (मत्) :
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वि० [सं० नीति+मतुप्] [स्त्री० नीतिमती] १. नीति परायण। २. सदाचारी। |
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नीतिवाद :
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पुं० [सं० मध्य० स०] वह वाद या सिद्धान्त जिसमें व्यवहार और आचार संबंधी नीति की प्रधानता हो। |
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नीतिवादी (दिन्) :
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वि० [सं० नीतिवाद+इनि] १. नीतिवाद संबंधी। २. नीतिवाद का अनुयायी। ३. जो नीति-शास्त्र के सिद्धान्तों के अनुसार सब काम करता हो। |
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नीति-शास्त्र :
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पुं० [सं० ष० त०] वह शास्त्र जिसमें देश, काल और पात्र के अनुसार समाज के कल्याण के लिए उचित और ठीक आचार-व्यवहार करने के नियमों, सिद्धान्तों आदि का विवेचन होता है। (इथिक्स)। २. उक्त विषय पर लिखा हुआ कोई प्रामाणिक और मान्य ग्रंथ। |
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