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शब्द का अर्थ
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झाँक :
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स्त्री० [हिं० झाँकना] १. झाँकने की क्रिया या भाव। २. झलक। स्त्री० [?] आग। अग्नि। उदाहरण–नई गोरी नये बालमा नई होरी की झाँक।–बुदेल० लो० गी०। पुं=चीतल (जंगली हिरन)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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झाँकना :
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अ० [सं० अध्यक्ष, प्रा० अज्झक्ख] १. नीचे की ओर की चीज देखने के लिए गरदन झुकाकर तथा आँखे नीचे करके उसकी ओर ताकना। देखने के लिए झुकना। जैसे–खिड़की में से या छत पर से झाँकना। २. आड़ में से दाहिने या बाएँ कुछ झुककर या किसी संधि में से टोह लेने के लिए देखना। ३. कोई काम करने के लिए उसकी ओर प्रवृत्त होना। उदाहरण–यही ठीक है धनुष छोड़कर कीड़ा झाँकों।–मैथिलीशरण। |
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झाँकनी :
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स्त्री०=झाँकी। |
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झाँकर :
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पुं=झंखाड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झाँका :
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पुं० [हिं० झाँकना] झरोखा जिसमें से झाँककर देखते हैं। पुं०=खाँचा (रहठे आदि का दौरा)। |
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झाँकी :
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स्त्री० [हिं० झाँकना] १. झाँकने की क्रिया या भाव। २. किसी पूज्य या प्रिय वस्तु या व्यक्ति का सुखद अवलोकन। दर्शन। ३. सहसा कुछ देर के लिए एक बार दिखाई पड़ने या सामने आने की क्रिया या भाव। (ग्लासं) ४. कोई मनोहर या सुंदर दृश्य। ५. किसी बात का किया जानेवाला संक्षिप्त परिचय या परिज्ञान। जैसे–कश्मीर और बुंदेलखंड की झाँकी। ६. छोटी खिड़की। |
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झाँकृत :
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पुं० [सं० झंकृत+अण्] १. पैरों में पहनने का झाँझन नामक आभूषण। २. झनझन करने या झरने का शब्द। |
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