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शब्द का अर्थ
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संविद :
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स्त्री० [सं०] १. चेतना-शक्ति। चैतन्य। २. ज्ञान। बोध। समझ। ३. सांख्य में महत्व। ४. अनुभूति। संवेदन। ५. आपस में होने वाला इकरार या समझौता। ६. उपाय। तकबीर। युक्ति। ७.वृत्तान्त। हाल। ८.प्रथा। रीति। ९.नाम। संज्ञा। १॰.तुष्टि। तृप्ति। ११. युद्ध। लड़ाई। १२. इशारा। संकेत। १३. प्राप्ति। लाभ। १४. जायदाद। संपत्ति। १५. मिलने के लिए नियत किया हुआ स्थान। संकेत-स्थल। १६. योग में प्राणायाम से प्राप्त होने वाली एक भूमि। १७. भाँग। विजय। वि० चेतनायुक्त। चेतन। |
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समानार्थी शब्द-
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संविदा :
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स्त्री० [सं०] १. कुछ खास शर्तों पर आपस में होने वाला किसी प्रकार का इकरार, ठहराव या समझौता। (कन्ट्रैक्ट) २. गाँजे या भाँग का एक पौधा। |
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संविदापत्र :
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पुं० [सं०] वह पत्र जिस पर किसी संविदा की शर्तें लिखी हों। इकरारनामा। ठीकानामा। (कान्ट्रैक्ट डीड) |
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संविदा प्रविधि :
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स्त्री० [सं०] वह प्रविधि या कानून जिसमें संविदा या ठीके से संबंध रखने वाले नियमों का विवेचन हो। (लॉ आफ कन्ट्रैक्ट) |
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संविदित :
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भू० कृ० [सम्√विद् (जानना)+क्त] १. अच्छी तरह जाना हुआ। पूर्णतया ज्ञात। २. खोजा या ढूँढ़ा हुआ। ३. सबकी सम्पत्ति से ठहराव या निश्चित किया हुआ। ४. जिसके संबंध में वचन दिया या वादा किया गया हो। ५. अच्छी तरह बतलाया या समझाया हुआ। |
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संविद्वाद :
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पुं० [ष० त०] पाश्चात्य दर्शन का एक सिद्धान्त जिसमें वेदान्त के समान चैतन्य के अतिरिक्त और किसी वस्तु पारमार्थिक सत्ता नहीं मानी जाती है। चैतन्यवाद। |
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