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वेदांत  : पुं० [सं० वेद+अंग] १. वेदों में प्रतिपादित सिद्धान्तों का निरूपण और विवेचन करनेवावाला शास्त्र। २. भारतीय चः दर्शनों में से अंतिम दर्शन जो उपनिषदों की शिक्षा और सिद्धान्तों पर आश्रित है और जिसमें वेदों का अंतिम य चरम उद्देश्य निरूपित होता है और जिसे उत्तर-मीमांसा भी कहते हैं। विशेष—इस दर्शन का मुख्य सिद्धान्त यह है कि सारी सृष्टि एकमात्र ब्रह्म से उद्भुत है, और वह इस ब्रह्म इस सृष्टि के प्रत्य़ेक अणु-परमाणु तक में व्याप्त है। इस दर्शन में मुख्यतः ब्रह्म और जगत् तथा ब्रह्मा और जीव के पारस्परिक संबंधों का निरूपण है। अहं ब्रह्मास्मि, तत्त्वमसि, सोहंअस्मि आदि इसके मुख्य सिद्धान्त है। लोक में जो अद्वैत की भावना भूत या माया के प्रति तिरस्कार आदि के भाव प्रचलित है वे अधिकतर इसी वेदातं की शिक्षा के फल हैं।
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वेदांत  : पुं० [सं०] व्यास कृत ब्रह्मसूत्र।
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वेदांती (तिन्)  : पुं० [सं० वेदान्त+इनि] वेदांत का पूर्ण ज्ञाता। ब्रह्मवादी।
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