शब्द का अर्थ खोजें
शब्द का अर्थ
|
पूर्णोपमा :
|
पुं० [पूर्ण-उपमा, कर्म० स०] उपमा अलंकार के दो मुख्य भेदों में से पहला जिसमें उपमेय, उपमान, वाचक और धर्म चारों अंग प्रकट रूप से वर्तमान रहते हैं। यथा—सुभग सुधाधर तुल्य मुख, मधुर, सुधा से बैन—पद्याकर। विशेष—इसके आर्थी और श्रौती दो भेद होते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्णोपमा :
|
पुं० [पूर्ण-उपमा, कर्म० स०] उपमा अलंकार के दो मुख्य भेदों में से पहला जिसमें उपमेय, उपमान, वाचक और धर्म चारों अंग प्रकट रूप से वर्तमान रहते हैं। यथा—सुभग सुधाधर तुल्य मुख, मधुर, सुधा से बैन—पद्याकर। विशेष—इसके आर्थी और श्रौती दो भेद होते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|
|
|
|
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai