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कच्ची  : स्त्री०=कच्ची रसोई।
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कच्ची कुर्की  : स्त्री० [हिं० कच्चा+तु० कुर्की] वह कुर्की, जो प्रायः महाजन लोग अपने मुकदमें का फैसला होने से पहले ही इस आशंका से जारी कराते हैं कि कहीं मुकदमे के फैसला होने तक प्रतिवादी अपना माल-असबाब इधर-उधर न कर दे। (दे० ‘कुर्की’)।
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कच्ची गोटी  : स्त्री० [हिं०] चौसर के खेल में वह गोटी, जो अभी आगे बढ़ रही हो और जिसके पूगने में अभी देर हो। मुहावरा—कच्ची गोटी खेलना=ऐसा काम करना, जो समझदारी का न हो और जिसमें आगे चलकर धोखा खाना पड़े।
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कच्ची गोली  : स्त्री०=कच्ची गोटी।
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कच्ची-चीनी  : स्त्री० [हिं०] राब को सुखाकर तैयार की हुई चीनी, जो कुछ हरे रंग की होती है खाँड़। शक्कर।
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कच्ची जाकड़  : स्त्री० [हिं०] वह बही, जिसमें जाकड़ दिये जानेवाले का ब्यौरा लिखा जाता है।
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कच्ची नकल  : स्त्री० [हिं०] किसी कार्यालय के लेख्य आदि की ऐसी नकल, जो अनधिकारिक या निजी रूप से ली गई हो और जिस पर उस कार्यालय की मोहर या उसके अध्यक्ष के हस्ताक्षर न हों और इसी लिए जो प्रमाणिक न मानी जाती हो।
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कच्ची निकासी  : स्त्री० [हिं० कच्ची+निकासी] किसी कारखानें, संस्था आदि की वह कुल आय, जिसमें से व्यय आदि निकाला न गया हो। (ग्राँस एसेट्स)
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कच्ची वही  : स्त्री० [हिं०] वह बही, जिसमें लिखा हुआ हिसाब यों ही याद रखने के लिए टाँका गया हो और नियमित रूप से लिखा न होने के कारण पूर्णतया ठीक या प्रामाणिक न हो।
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कच्ची मित्ती  : स्त्री० [हिं०] किसी को ऋण देने तथा चुकता पाने की मितियाँ, जिनका ब्याज या सूद जोड़ा नहीं जाता।
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कच्ची रसोई  : स्त्री० [हिं०] ऐसा भोजन या व्यंजन, जो घी या दूध आदि में न पकाया गया हो, बल्कि पानी में पकाया गया हो, इसलिए जिसके संबंध में छूआछूत मानी जाती हो। (सनातनी हिंदू)।
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कच्ची रोकड़  : स्त्री० [हिं०] वह बही, जिसमें प्रतिदिन का आय-व्यय स्मृति के लिए टाँक या लिख दिया जाता है।
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कच्ची शक्कर  : स्त्री०=कच्ची चीनी।
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कच्ची सिलाई  : स्त्री० [हिं०] १. वे अस्थायी टाँके, जो पक्का बखिया करने से पहले कपडे़ के जोड़ को अस्थायी रूप से लगाये रखने के लिए भरे जाते हैं। लंगर। २. पुस्तकों की वह सिलाई जो सब फर्मों को एक साथ ऊपर-नीचे रखकर की जाती है। (जुजबन्दी सिलाई से भिन्न)।
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