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शब्द का अर्थ

अयोग  : वि० [न० ब०] १. अयोग्य। २. अनुपयुक्त। पुं० [सं० न० त०] १. योग का अभाव। अलग या पृथक होना। २. बिछुड़ना। वियोग होना। ३. एक-रूपता का अभाव। ४. प्राप्ति का अभाव। ५. बुरा योग। कुसमय। ६. कठिनता। संकट। ७. वह वाक्य जिसका अर्थ कठिनाई से बैठाया जाता है। कूट। ८. दुष्ट ग्रह, नक्षत्र आदि से युक्त काल।
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अयोगव  : पुं० [सं० ब० स०, नि० अच्] शूद्र जाति के पुरुष और वैश्य जाति की स्त्री से उत्पन्न एक वर्णसंकर जाति।
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अयोगवाह  : पुं० [सं० अयोग, न० ब०√वह्+णिच्+अच्] स्वरों और व्यंजनों के बीच के वर्णों-अनुस्वार, विसर्ग, उपध्मानीय तथा जिह्वामूलीय की संज्ञा।
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अयोग्य  : वि० [सं० न० त०] १. जो योग्य तथा विद्या संपन्न न हो। २. जो समझ या समर्थ न हो। ३. जो अधिकारी या पात्र न हो। ४. जो उपयुक्त संगत या सटीक न हो।
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अयोग्यता  : स्त्री० [सं० अयोग्य+तल्, टाप्] अयोग्य होने की अवस्था या भाव।
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अयोगी (गिन्)  : पुं० [सं० न० त०] वह जिसने योगांगों का अनुष्ठान न किया हो अर्थात् जो योगी न हो। वि०=अयोग्य।
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