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पर्सनल कम्प्यूटर (व्यक्तिगत संगणक)

सम्पादकीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2018

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केवल व्यक्तिगत उपयोग के लिए बनाए गये कम्प्यूटर

70 के दशक से पहले कम्प्यूटरों के अंग इतने अधिक मूल्य के होते थे कि उन्हें व्यक्तिगत प्रयोग के लिए खरीदना लोगों के लिए संभव नहीं था। प्रारंभिक दिनों में इन्हें किट (संयोजन) के रूप में बेचा जाता था। कालांतर में लगभग 1972 के समय तक इस दिशा में कुछ प्रगति हुई और इंटेल 8008 माइक्रोप्रोसेसर के आधार पर बने हुए कुछ किट प्रचलित हुई। सन् 1974 में इंटेल 8080 पर बने हुए “एल्टेयर 8800” को संभवतः पहला व्यक्तिगत कम्प्यूटर कहा जा सकता है। इसी प्रकार थोक की संख्या में बेचे जाने वाले व्यक्तिगत संगणकों में कामोडोर पेट का नाम सबसे पहला है। आरंभिक व्यक्तिगत संगणकों में सरल प्रोग्राम लिखे जा सकते थे, अथवा सरल खेल खेले जा सकते थे। आरंभिक व्यक्तिगत कम्प्यूटरों को माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाता था। इनका आकार बड़ा होता था और आज की तरह व्यवस्थित न हो कर अलग-अलग भागों में होता था। 1975 से 1982 के समय में व्यक्तिगत कम्प्यूटरों में लगातार प्रगति हुई।

लम्बे समय तक सर्वर, मिनी और मेन फ्रेम कम्प्यूटर औद्योगिक जगत (कार्यालयों) में और व्यक्तिगत कम्प्यूटर घरों में शौकिया प्रयोग किये जाते रहे। परंतु आईबीएम व्यक्तिगत कम्प्यूटर को बाजार में मिली सफलता ने आईबीएम की नकल वाले कम्प्यूटरों को बाजार में प्रचलित किया। इस प्रकार व्यक्तिगत अथवा घरेलू उपयोग के साथ-साथ कार्यालयीन प्रयोग भी अचानक अत्यंत तेजी से बढ़ गया। आईबीएम के इस यंत्र में देखने के लिए स्क्रीन डिस्प्ले, जानकारी प्रेषित करने के लिए की बोर्ड, आवश्यकतानुसार मेमोरी और भंडारण के लिए फ्लापी ड्रॉइव का समावेश किया गया था। कम्प्यूटर के मदर बोर्ड, प्रोसेसर, मेमोरी, इनपुट-आउटपुट (आदान-प्रदान), ठंडा करने वाले पंखा तथा पॉवर सप्लाई आदि को सुरक्षित रखने के लिए एक स्टील की चादर से बने डिब्बे में रखा जाता था। इस डिब्बे को मेज के ऊपर रखा जा सकता था, इसीलिए इन व्यक्तिगत कम्प्यूटरों को डेस्कटाप कम्प्यूटर के नाम से भी जाना गया।

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