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क्लॉउड

सम्पादकीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2018

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क्लाउड अर्थात् समस्त विश्व में हर समय किराए पर उपलब्ध आई टी सेवाएँ। बढ़ती जटिलता, सारे विश्व में स्थानीय उपस्थिति तथा देख-भाल की झंझट से छुटकारा मिलने के आश्वासन के कारण क्लाउड की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।

भूमण्डलीकरण के कारण कई संस्थान अपनी सेवाएँ सारे विश्व में लोगों को उपलब्ध करवाना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त आईटी के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दिन-प्रतिदिन जटिल भी होते जा रहे हैं। क्लाउड का अर्थ है आईटी की सेवाएँ सारे भूमण्डल में किराए पर लीं और स्थगित की जा सकें। पिछले लगभग दो दशकों से धीरे-धीरे व्यापारिक कंपनियाँ अपने स्वयं के आईटी विभाग स्थापित करती आ रही थीं। इस काल में बही-खाते से लेकर उत्पाद नियंत्रण और यात्रा के लिए टिकट बुकिंग जैसी कई समस्याएँ अब समस्याएँ ही नहीं रहीं। परंतु इस बीच आईटी में प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को बनाने और चलाने की जटिलता दिनो-दिन बढ़ती जाती है। बढ़ती जटलिताओँ और आपसी सामञ्जस्य में कमी होते जाने के कारण इन समस्याओँ पर काम करने वाले लोग अधिक पैसा माँगने लगे। समस्या तो लागत कम करने की थी, अब ऐसे में लागत बढ़ाना तो उल्टा काम हो गया। इन समस्याओँ से निपटने के लिए काम करने वाले लोगों का काम आउटसोर्स होन लगा और हार्डवेयर इत्यादि को उनके निर्माता खुद अपनी देख-रेख में किराए पर देने लगे, बदलते समय के साथ भूमंडलीय समस्याओँ से निपटने के लिए कम्प्यूटर हार्डवेयर को कई देशों में लगाया गया, ताकि भारत का व्यक्ति भारत के और अमेरिका का व्यक्ति अमेरिका के तथा योरोप का व्यक्ति योरोप के सर्वरों से जानकारी लेने सके। इस स्थानीय व्यवस्था से लोगों का काम भी कम समय में होने लगा है और सुविधाएँ भी चौबीसों घंटे उपलब्ध रहती है।

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