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सिक्योरिटी

सम्पादकीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2018

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कम्प्यूटरों में आँकड़ों तथा जानकारी के विश्लेषण द्वारा अर्जित किये गये ज्ञान को कोई अनिधकृत व्यक्ति चुरा न ले इसलिए सुरक्षा की आवश्यकता होती है

कहते हैं कि ज्ञान सर्वोपरि है, शायद इसीलिए कम्प्यूटर की गणनाओं द्वारा पैदा किया गये ज्ञान की कीमत भी दिनोंदिन बढ़ती जाती है। इस प्रकार प्राप्त की गई जानकारी यदि गलत हाथों में पड़ जाये अच्छा-खासा नुकसान भी हो सकता है। उदाहरण के लिए यदि कोई आपके आनलाइन बैंक खाते का पासवर्ड जान ले तो वह आपका ही पैसा, आपके ही नाम पर निकाल कर अपने खाते में डाल सकता है। इस स्थिति में यदि सुरक्षा के सभी नियमों का पालन किया गया होता, जैसे अभेद्य पासवर्ड अथवा बैंक के कम्प्यूटरों की समुचित सुरक्षा की जाये तो इस प्रकार की समस्याओँ से बचा जा सकता है। जब तक कम्प्यूटर आपस में नेटवर्क के माध्यम से जुड़ने योग्य नहीं होते थे, उस समय तक कम्प्यूटरों की सुरक्षा मात्र अभेद्य पासवर्ड से कर ली जाती थी। परंतु कम्प्यूटरों के आपस में नेटवर्क में जुड़ जाने के बाद से उनकी सुरक्षा का कार्य दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है। अब न केवल कम्प्यूटरों को ताले में बन्द करना आवश्यक है, बल्कि उन तक पहुँचने वाले हर प्रकार के नेटवर्क के मार्ग में सुरक्षा आवश्यक हो गई है। वायरस, हैकिंग, अनाधिकृत प्रवेश, डिस्क अथवा बैक अप की चोरी आदि कुछ प्रमुख स्थितियाँ जिनसे बचने के लिए सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इस सुरक्षा के लिए फायरवाल, एंटी-वायरस, इंट्रूजन डिटेक्शन और सुरक्षित नेटवर्क की व्यूह रचना आदि कई उपायों से सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।

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