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बैकअप

सम्पादकीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2018

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डाटा की प्रतिलिपि (कापी) बनाने की प्रक्रिया को बैकअप कहते हैं

महत्वपूर्ण कागजातों को खो जाने की अवस्था में होने वाली हानि से बचने के लिए उसकी प्रतिलिपि (कापी) बनाकर रख ली जाती है। इसी प्रकार कम्प्यूटरों की दुनिया में तो जानकारी ही सबसे महत्वपूर्ण संपदा मानी जाती है, इसलिए इस जानकारी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था करना स्वाभाविक रूप से आवश्यक हो जाता है। यों तो कई कारण हो सकते हैं, पर अधिकांशतः जानकारी को नष्ट होने से बचाने के दो कारण होते हैं। पहला, जिस या जिन डिस्कों में यह जानकारी है, यदि उनमें से कोई खराब हो जाये या जल जाये। दूसरा यदि डिस्क में लिखी जानकारी पर यदि कोई प्रोग्राम कोई नई जानकारी लिख दे। इन दोनों स्थितियों के कारण जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए उसकी प्रतिलिपि बना ली जाती है। अब चूँकि आजकल के समय में प्रतिदिन कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में रखी जानकारी लोगों के काम के कारण बदलती रहती है, इसलिए उसकी प्रतिलिपि (बैकअप) भी दिन के अन्त में लेना आवश्यक हो जाता है, ताकि यदि पिछले दिन या पिछले सप्ताह की जानकारी को पुनः देखने की आवश्यकता पड़े तो उसे पलट कर देखा जा सके। आमतौर पर दिन में एक बार बैकअप लेना काफी होता है, परंतु कुछ विशेष परिस्थितियों अथवा विशेष प्रकार की जानकारी (जैसे) ई-मेल में आयी या भेजी गई जानकारी, तब उसका बैकअप हर घण्टे में एक बार लेना पड़े ऐसी स्थिति भी आ सकती है।

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